स्टोन, यानी पथरी की बीमारी आजकल काफी आम हो गई है। हालांकि, इसका इलाज संभव है लेकिन, इसकी संभावना भी बहुत अधिक रहती है कि यह ठीक होने के बाद मरीज को दोबार भी हो सकती है। पथरी की बीमारी की कई वजह हो सकती हैं। इससे बचे रहने के लिए आपको सबसे पहले स्टोन होता क्या है? पथरी की बीमारी शरीर के किन-किन अंगों को प्रभावित कर सकता है? पथरी की बीमारी कितनी खतरनाक है? इसके बारे में पूरी जानकारी लेनी जरूरी है।
कितनी बड़ी हो सकती है पथरी?
पथरी आकार में अलग-अलग हो सकती है। यह रेत के कण जितनी छोटी से लेकर गेंद की तरह बड़ी भी हो सकती है। पथरी के कण चिकने या खुरदरे भी हो सकते हैं। आमतौर पर चिकने कण में पथरी का दर्द भी कम होता है और वह प्राकृतिक रूप से पेशाब के माध्यम से शरीर से बाहर भी निकल जाती है। हाालंकि, खुरदरे पथरी के कण दर्दनाक होते हैं जो आमतौर पर उपचार के बाद भी ठीक होते हैं।
डॉक्टर्स के मुताबिक पथरी की बीमारी शरीर के चार अंगों में हो सकती है
1.
किडनी यानी गुर्दा
2.
यूरेटर यानी पेशाब की नली
3.
युरिनरी ब्लैडर यानी पेशाब की थैली
4.
गॉल ब्लैडर यानी पित्त की थैली
स्टोन होने की वजह
– ज्यादा नमक या प्रोटीन का सेवन, जैसेः मटन, चिकन, पनीर, फिश आदि– मूत्राशय की बनावट में गड़बड़ी– किडनी में संक्रमण– वंशानुगत, यानी परिवार में पहले से ही पथरी की समस्या का मजौदू होना– बार-बार मूत्रमार्ग में संक्रमण होना– मूत्रमार्ग का ब्लॉक होना– विटामिन सी या कैल्शियम युक्त दवाओं का अधिक सेवन करना– बहुत देर तक पेशाब रोकना– हायपोपेराथायराइडिज्म की समस्या– कम पानी पीने की आदत।
स्टोन के प्रकार
1. सिस्टीन स्टोन
2. एस्ट्रोवाइट स्टोन
3. यूरिक ऐसिड स्टोन
स्टोन चार प्रकार के हो सकते हैं :
4. कैल्शियम स्टोन
पहचान कैसे करें?
– पेट में अचानक तेज दर्द होना
– लंबे समय से पेशाब का रंग बहुत पीला आना
– पेशाब से बहुत ज्यादा बदबू आना
– सामान्यतः पथरी की बीमारी 30 से 40 साल की उम्र में अधिक होती है
– पथरी की बीमारी महिलाओं की तुलना में पुरुषों में तीन से चार गुना अधिक होती है
इन कारणों से वापस हो सकती है स्टोन की समस्या
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– पेट में अचानक तेज दर्द होना
– पीठ और पेट में लगातार दर्द होते रहना
– पेशाब के दौरान खून आना
– मूत्रमार्ग में में बार-बार संक्रमण होना
– अचानक पेशाब बंद हो जाना
– पेशाब का रंग बदलना।
पथरी की बीमारी की रोकथाम के लिए क्या करें?
– खाने में नमक की मात्रा करें। नमकीन, पापड़, अचार जैसे नमक युक्त खाघ पदार्थ न खाएं।
– दिनभर में कम से कम दो लीटर पानी पीएं।
– जैसे ही पेशाब का रंग गहरा दिखाई दे, पानी पीने की मात्रा बढ़ाएं।